Indian Railways में स्लीपर कोच की दुर्दशा! कन्फर्म टिकट फिर भी सीट नहीं, रेलवे की लाचार व्यवस्था!

Indian Railways में स्लीपर कोच में यात्रा करना अब पहले जितना सुविधाजनक नहीं रहा। जिस कोच में कभी आरक्षण की गारंटी होती थी, वहां अब जनरल डिब्बे जैसी भीड़ देखने को मिलती है। ताजा मामला 11123 ग्वालियर से बरौनी जाने वाली ट्रेन का है, जहां एक यात्री की कन्फर्म सीट पर किसी अन्य व्यक्ति ने कब्जा जमा लिया। यात्री ने जब शिकायत की तो टीटीई से लेकर सोशल मीडिया तक हर माध्यम आजमाया, लेकिन राहत नहीं मिली।
टीटीई भी बेबस, सिस्टम हो गया फेल
इस घटना में सबसे हैरानी की बात यह रही कि यात्री ने जब ट्रेन में मौजूद टीटीई से शिकायत की तो वह भी कोई ठोस कदम नहीं उठा सका। टीटीई की यह बेबसी बताती है कि रेलवे में व्यवस्था कितनी लचर हो चुकी है। यात्री ने आखिरकार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक वीडियो शेयर कर अपनी आपबीती सुनाई। इस वीडियो में साफ दिख रहा है कि कोच में पैर रखने की भी जगह नहीं है।
11123 GWL BJU EXPRESS Sleeper Ka hal Genral Se Bhi Kharab Hai
01. Mera seat dusre passenger ke pas occupied hai maine TTE Sir ko request Kiya ki mera seat khali karva dijiye lekin abhi bhi mera seat khali nahi kiya gya hai. @RailMinIndia @narendramodi @RailwayNorthern pic.twitter.com/7zX0khnwBO
— sandipsingh kushwaha (@ksandip_09) August 5, 2025
रेलवे की प्रतिक्रिया, लेकिन राहत अभी भी अधूरी
रेल मंत्रालय के ट्विटर हैंडल @RailwaySeva ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और पीएनआर नंबर व मोबाइल नंबर मांगा ताकि तत्काल कार्रवाई की जा सके। साथ ही ‘रेल मदद’ पोर्टल और 139 नंबर का भी सुझाव दिया गया। लेकिन सवाल यह है कि जब ट्रेन में ही बैठे-बैठे मदद नहीं मिल रही, तो ऑनलाइन पोर्टल और हेल्पलाइन कितनी कारगर साबित होगी?
स्लीपर कोच में बढ़ती अराजकता: कारण क्या है?
त्योहारों और छुट्टियों के समय सामान्य कोचों में भीड़ इतनी बढ़ जाती है कि बिना टिकट या जनरल टिकट वाले यात्री स्लीपर कोच में घुस जाते हैं। नतीजतन जिन यात्रियों ने महीनों पहले टिकट बुक कराया, उन्हें खड़े होकर सफर करना पड़ता है। यह स्थिति न सिर्फ असुविधाजनक है, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा के लिए भी खतरा बन चुकी है।
क्या रेलवे करेगा व्यवस्था में सुधार?
भारतीय रेलवे देश की सबसे बड़ी परिवहन प्रणाली है, लेकिन ऐसी घटनाएं इसकी छवि को लगातार धूमिल कर रही हैं। यदि कन्फर्म टिकट वाले यात्री भी अपनी सीट पर न बैठ पाएं, तो यह सीधे-सीधे सिस्टम की नाकामी है। रेलवे को सख्त नियमों के साथ निगरानी बढ़ानी होगी और टीटीई को कार्रवाई के लिए सशक्त बनाना होगा, वरना यह समस्या और भी गंभीर होती जाएगी।