शिशु मंदिर चीचली में संपन्न हुआ शक्तिसंगम कार्यक्रम, मातृशक्ति ने दिखाया अद्भुत उत्साह
गाडरवारा के शिशु मंदिर चीचली में अखिल भारतीय सप्तशक्ति संगम कार्यक्रम आयोजित हुआ। नारी शक्ति, कुटुंब प्रबोधन और सामाजिक समरसता पर वक्ताओं ने दिए प्रेरक उद्बोधन। छात्राओं ने प्रस्तुत किए सांस्कृतिक कार्यक्रम।

चीचली (गाडरवारा)। अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान विद्या भारती के महाकौशल प्रांत ईकाई सरस्वती शिक्षा परिषद के मार्गदर्शन में अखिल भारतीय सप्तशक्ति संगम कार्यक्रम का आयोजन शिशु मंदिर चीचली में किया गया।
कार्यक्रम का उद्देश्य समाज में नारी शक्ति जागरण, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, पंच परिवर्तन और सामाजिक समरसता जैसे विषयों पर जनजागृति फैलाना रहा।
मुख्य अतिथि एवं अध्यक्षता
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में श्रीमती संध्या कोठारी (पूर्व अध्यक्षा, नगरपालिका परिषद नरसिंहपुर) उपस्थित रहीं, जबकि अध्यक्षता डॉ. श्रीमती कीर्ति दुबे ने की।
प्रमुख वक्ता एवं विषय
कार्यक्रम में मुख्य वक्ताओं में श्रीमती रूचि पैगवार, ममता भारद्वाज, भारती सक्सेना और शकुन नामदेव शामिल रहीं।
उन्होंने निर्धारित विषयों पर सारगर्भित उद्बोधन देते हुए कहा कि —
“भारतीय जनजीवन, लोकपरंपराएँ और मानवीय मूल्य ही हमारे राष्ट्र की आत्मा हैं। सनातन संस्कृति को अक्षुण बनाए रखना ही सच्ची नारी शक्ति का प्रतीक है।”
सभी वक्ताओं ने भारत के विकास में महिलाओं की भूमिका पर प्रेरणादायक विचार रखे और मातृशक्ति से समाज सुधार में सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान किया।
सांस्कृतिक और प्रतियोगिता कार्यक्रम
कार्यक्रम के अगले चरण में श्रीमती लझ्मी चौरसिया ने प्रस्तावना एवं प्रश्न मंच कार्यक्रम का संचालन किया, जो उपस्थित मातृशक्ति के लिए मनोरंजक और प्रेरणादायक रहा।
सफल प्रतिभागियों को पुरस्कृत भी किया गया।
विद्यालय की छात्राओं आरजू कुशवाहा, परी चौरसिया, साक्षी ताम्रकार ने समूह गीत प्रस्तुत किया, जबकि खुशी ताम्रकार, काजल बारे, अनुष्का सिंह राजगौड़ और दिव्या विश्वकर्मा ने प्रेरणादायक मंचीय प्रस्तुतियाँ दीं, जिन्हें खूब सराहा गया।
आयोजन में सहयोग
कार्यक्रम को सफल बनाने में राजेश पैगवार (व्यवस्थापक), पूनम पैगवार (कोषाध्यक्ष), संयोजिका लता लझ्मी चौरसिया और भारती चौरसिया का सहयोग सराहनीय रहा।
कार्यक्रम का आभार प्रदर्शन सूर्या ताम्रकार ने किया।
स्थानीय मातृशक्ति की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही और कार्यक्रम की सर्वत्र मुक्त कंठ से प्रशंसा की जा रही है।







