खाद माफिया की चोरी पर चला एसडीएम का हंटर: सोहागपुर में छापेमारी से खुला भ्रष्टाचार का खेल
सोहागपुर में एसडीएम प्रियंका भल्लवी ने खाद माफिया की करतूतों का पर्दाफाश किया। 25 मीट्रिक टन अतिरिक्त खाद बरामद, कई व्यापारी जांच के घेरे में। किसानों ने कहा — “अब सिस्टम नहीं, सच्चाई चलेगी।”

संवाददाता राकेश पटेल इक्का
सोहागपुर। किसानों की लूटी हुई मेहनत और छिपे हुए मुनाफे की परतें आखिरकार खुल ही गईं।
एसडीएम प्रियंका भल्लवी ने सोहागपुर के खाद बाजार में अचानक निरीक्षण कर, वर्षों से चल रही खाद माफिया की बेईमानी और सिस्टम की लापरवाही को बेनकाब कर दिया।
खेतों से उठी किसानों की आवाज़, प्रशासन ने दिया जवाब
किसानों की शिकायतें महीनों से प्रशासनिक फाइलों में दबकर रह गई थीं —
DAP और यूरिया के थैले गायब, सरकारी दरों पर बिक्री केवल रिकॉर्ड में,
जबकि असली स्टॉक व्यापारियों के गोदामों में छिपा था।
किसानों की यह पीड़ा तब सुनी गई जब एसडीएम भल्लवी ने बिना किसी दबाव, सिफारिश या राजनीतिक प्रभाव के निष्पक्ष कार्रवाई की।
निरीक्षण में मिला 25.20 मीट्रिक टन अतिरिक्त स्टॉक
जांच के दौरान भाग्यश्री ट्रेडिंग कंपनी, महेश कुमार मालवीय फर्टिलाइज़र, और कृपालदास राधामल फर्टिलाइज़र की दुकानों पर भारी अनियमितताएं मिलीं।
रिपोर्ट में जहां केवल 8.19 मीट्रिक टन स्टॉक दर्ज था, वहीं मौके पर 25.20 मीट्रिक टन अतिरिक्त खाद बरामद की गई।
➡️ कुल 1180 बोरी खाद बिना बिल और POS रिकॉर्ड के पाई गई।
व्यापारी किसानों से पैसा लेकर “सिस्टम डाउन है” का बहाना बनाते रहे, जबकि स्टॉक गोदामों में छिपा रखा गया।
एसडीएम प्रियंका भल्लवी ने दिखाई ईमानदारी की मिसाल
एसडीएम ने सख्त चेतावनी दी —
“जो किसान के हक में धोखा करेगा, उसके खिलाफ अब न केवल कानूनी कार्यवाही होगी बल्कि उसका व्यापारिक अस्तित्व भी समाप्त होगा।”
मौके पर मिले स्टॉक की रिपोर्ट से तुलना की गई और दोषियों को नोटिस जारी किए गए।
एसडीएम ने स्पष्ट कहा कि कृषि विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत भी जांच के दायरे में आएगी।
किसानों के चेहरे पर लौटा भरोसा
ग्रामीण किसान जयमल उइके ने कहा —
“पहली बार किसी अफसर ने हमारे खेतों की मिट्टी में उतरकर हमारे हक के लिए काम किया। अब सिस्टम नहीं, सच्चाई चलेगी।”
किसान हरिनारायण बोले —
“आज लग रहा है कि सरकार हमारी नहीं, बल्कि हमारे साथ है।”
भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूत संदेश
यह निरीक्षण सिर्फ एक औपचारिक जांच नहीं थी,
बल्कि किसानों की मेहनत, उनके अधिकार और ईमानदार शासन के प्रतीक के रूप में याद किया जाएगा।
खाद माफिया की चोरी अब नहीं चलेगी —
अब चलेगा पारदर्शिता, ईमानदारी और न्याय का सिस्टम।