खेलमध्य प्रदेश

बिना पूर्व सूचना रीवा की खो-खो टीम डिसक्वालीफाई — मायूस होकर लौटे खिलाड़ी, फेडरेशन पर उठे सवाल

राज्य स्तरीय खो-खो टूर्नामेंट में विवाद, खिलाड़ियों ने लगाए मनमानी और वसूली के आरोप

नरसिंहपुर। जिले के स्टेडियम ग्राउंड में आज से राज्य स्तरीय खो-खो टूर्नामेंट की शुरुआत हुई है, जिसमें प्रदेशभर की टीमें हिस्सा लेने पहुँची हैं। लेकिन टूर्नामेंट शुरू होने से पहले ही एक बड़ा विवाद सामने आया है। रीवा जिले की खो-खो टीम को बिना किसी लिखित या पूर्व सूचना के डिसक्वालीफाई कर दिया गया, जिससे खिलाड़ी और टीम प्रबंधन गहरे मायूस नज़र आए।

रीवा टीम के खिलाड़ियों का कहना है कि उन्हें यह नहीं बताया गया कि आखिर उन्हें अयोग्य क्यों घोषित किया गया। वहीं, फेडरेशन पर भी गंभीर आरोप लगे हैं कि विरोध करने पर टीम को बाहर किया गया।

“₹700 हर बार देने का नियम गलत” — रीवा टीम का आरोप

रीवा टीम के खिलाड़ी विजय प्रताप ने बताया कि फेडरेशन के सचिव द्वारा हर बार खेलने पर ₹700 वसूले जाते हैं। चाहे खिलाड़ी सीनियर वर्ग में खेले, जूनियर या सब-जूनियर — हर बार ₹700 देना अनिवार्य बताया गया है।

“अगर कोई खिलाड़ी तीनों वर्गों में खेलता है तो उसे ₹2100 देना पड़ता है। हमने इस मनमानी का विरोध किया, जिसके बाद हमें बिना किसी लिखित आदेश के डिसक्वालीफाई कर दिया गया,”
— विजय प्रताप, खिलाड़ी, रीवा टीम

सफल टीम होने के बावजूद बाहर

जानकारी के अनुसार, रीवा की महिला टीम पिछले दो वर्षों (2023 और 2024) में राज्य स्तरीय टूर्नामेंट की फाइनल उपविजेता रह चुकी है, जबकि पुरुष वर्ग में भी लगातार तीसरा स्थान अर्जित करती आई है। टीम के 10 से अधिक खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में चयनित होते रहे हैं।

ऐसे में, बिना कारण बताए रीवा टीम को बाहर करना खेल जगत के लिए निराशाजनक और प्रश्नों से भरा कदम माना जा रहा है।

खेल भावना पर सवाल

किसी टीम को अयोग्य घोषित करना यदि नियम अनुसार हो तो स्वीकार्य है, परंतु बिना पूर्व सूचना, बिना पत्राचार और बिना सुनवाई के बाहर करना खिलाड़ियों के मनोबल पर गहरी चोट है।

खेल विशेषज्ञों का कहना है कि —

“देशभर में खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन अगर इस तरह की घटनाएं होंगी तो खेल भावना को नुकसान होगा।”

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