कुंभकर्णी नींद में सोहागपुर प्रशासन – संदिग्ध मौत को दबाने का नया खेल!

संवाददाता राकेश पटेल एक्का
सोहागपुर। ग्राम बंदीछोड़ निवासी मानसिक रोगी महिला रेशम बाई की ट्रेन की चपेट में आकर मौत हो गई। लेकिन मौत से भी ज्यादा सवाल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर उठ रहे हैं। पुलिस ने न केवल बिना जांच और पहचान के शव को दफना दिया, बल्कि अब परिजनों को शव देने में नियम-कानून का बहाना बनाकर टरकाया जा रहा है।
परिजनों का आरोप – प्रशासन कर रहा सच दबाने की कोशिश
मृतका के परिजन शुक्रवार सुबह से ही शव की मांग कर रहे हैं। लेकिन उन्हें न शव दिया जा रहा है, न सही जानकारी। परिजनों का सीधा आरोप है कि पुलिस-प्रशासन मिलकर पूरे मामले को दबाने में जुटा है।
एसडीएम का बयान और बड़ा विरोधाभास
एसडीएम महोदया ने बयान दिया –
“विधिवत कार्यवाही के बाद ही शव सौंपा जाएगा।”
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जब विधिवत कार्यवाही ही नियम है, तो फिर पुलिस ने बिना जांच-पड़ताल और पहचान के शव को इतनी जल्दी क्यों दफनाया?
मौत – दुर्घटना, आत्महत्या या साजिश?
रेशम बाई की मौत दुर्घटना थी, आत्महत्या थी या किसी साजिश का हिस्सा? – इस पर पुलिस ने पर्दा डाल दिया। सच सामने लाने के बजाय लाश ठिकाने लगाकर प्रशासन ने अपनी जवाबदेही से पल्ला झाड़ लिया।
प्रशासन की लापरवाही या मिलीभगत?
थाना क्षेत्र से महज 5 किलोमीटर दूर हुई इस घटना में पुलिस मृतका की पहचान तक सुनिश्चित नहीं कर पाई। और अब परिजनों को शव सौंपने में नियम-कानून का हवाला दिया जा रहा है।
लोग सवाल पूछ रहे हैं –
- शव को दफनाने की इतनी जल्दी क्यों?
- क्या पुलिस-प्रशासन किसी को बचाने की कोशिश कर रहा है?
- आमजन न्याय की उम्मीद किससे करें?
यह मामला साफ तौर पर दिखाता है कि सोहागपुर प्रशासन संवेदनशीलता नहीं, बल्कि लीपापोती में माहिर हो चुका है। संदिग्ध मौत के मामले को भी दफनाकर पुलिस-प्रशासन ने भरोसे को तोड़ दिया है।