कलेक्टर सोनिया मीणा ने दिखाया प्रशासनिक स्वाभिमान, जनता के सेवक हैं, सरकार के गुलाम नहीं
पिपरिया सांसद मेले में कलेक्टर सोनिया मीणा ने प्रशासनिक गरिमा की मिसाल पेश की। मंत्री के अभिवादन में खड़े न होकर उन्होंने संदेश दिया कि अधिकारी जनता के सेवक हैं, किसी के गुलाम नहीं। जनता ने कहा — यही है सच्चा प्रशासनिक स्वाभिमान।

संवाददाता राकेश पटेल इक्का
पिपरिया (नर्मदापुरम)।
सांसद मेले के दौरान रविवार को एक ऐसा वाकया सामने आया जिसने पूरे प्रशासनिक तंत्र को चर्चा में ला दिया। नर्मदापुरम की कलेक्टर सोनिया मीणा ने अपने दृढ़ निर्णय और प्रशासनिक स्वाभिमान से साबित कर दिया कि अधिकारी जनता के सेवक हैं, किसी के अधीनस्थ गुलाम नहीं।
कार्यक्रम के दौरान मंच पर सांसद दर्शन सिंह चौधरी ने कहा — “सभी लोग खड़े होकर प्रभारी मंत्री जी का अभिवादन करें।”
मंत्री के सम्मान में मंच पर मौजूद अधिकांश अधिकारी और जनप्रतिनिधि तुरंत खड़े हो गए, लेकिन कलेक्टर सोनिया मीणा अपने स्थान पर शांत भाव से बैठी रहीं। उन्होंने खड़े होना उचित नहीं समझा और अपने पद की गरिमा बनाए रखी।
जनता में बनी चर्चा का विषय
कलेक्टर के इस कदम ने न केवल कार्यक्रम में मौजूद लोगों को चौंकाया, बल्कि जनता के बीच भी उनकी प्रशंसा का कारण बना। सोशल मीडिया और स्थानीय स्तर पर लोग कह रहे हैं —
“नेता पाँच साल के लिए होता है, अधिकारी साठ साल के लिए। सोनिया मीणा ने दिखा दिया कि कानून और संविधान सर्वोपरि हैं।”
जनता का कहना है कि कलेक्टर मीणा ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि प्रशासन का असली उद्देश्य जनता की सेवा और संविधान की मर्यादा है, न कि किसी राजनीतिक व्यक्ति की चापलूसी।
प्रशासनिक गरिमा की मिसाल
सोनिया मीणा की इस निडरता ने एक बार फिर साबित किया कि एक सच्चा अधिकारी वही है जो अपने पद का सम्मान बनाए रखते हुए जनहित में निर्णय ले।
उनका यह रुख प्रशासनिक मर्यादा और आत्मसम्मान की मिसाल बन गया है। पिपरिया के लोग कह रहे हैं —
“अगर हर जिले में ऐसे कलेक्टर हों, तो प्रशासन वास्तव में जनता के लिए काम करेगा।”