मध्य प्रदेश

मढ़ई मेले में उमड़ा जनसैलाब, ढाल-ढोल और टोरमा बोल बने आकर्षण का केंद्र | अतिक्रमण से आयोजन में आ रही बाधा

गाडरवारा के आडेगांव कला में मढ़ई मेले का भव्य आयोजन, ग्वाल टोली, ढाल-ढ़ोल और टोरमा बोल ने मचाई धूम। लेकिन अतिक्रमण बना आयोजन में बड़ी बाधा। ग्रामीणों ने विधायक से हस्तक्षेप की मांग की।

Gadarwara News:

गाडरवारा विधानसभा के ग्राम आडेगांव कला में पारंपरिक मढ़ई मेले का भव्य आयोजन हुआ। इस मेले में न सिर्फ आसपास के गांवों से लोग उमड़े, बल्कि पारंपरिक नृत्य, ग्वाल टोली, टोरमा बोल, ढाल-ढ़ोल की थाप और लोकगीतों ने वातावरण को पूरी तरह उत्सवमय बना दिया।

परंपरा को जीवित रखता आडेगांव कला का मढ़ई मेला

साईखेड़ा जनपद के अंतर्गत आने वाले ग्राम आडेगांव कला की आबादी करीब 3,000 है। यहां कई पीढ़ियों से मढ़ई मेले का आयोजन किया जाता है, जिसकी शुरुआत ग्राम के पूर्वज मनीराम भोई बाबा के पुत्र जगदीश भोई ने की थी।
इस परंपरा को आज भी भोई परिवार के मंगल सिंह और उनके भतीजे सर्वेश आगे बढ़ा रहे हैं।

आयोजन में आदिवासी समाज, अहिरवार समाज और अन्य समुदायों के सहयोग से माता मोहल्ला परिसर में यह भव्य मेला आयोजित किया गया।

गाते-नाचते ग्वाल टोली और टोरमा बोल ने जीता दिल

मढ़ई मेले
Janta express live

मेले में ग्वाल टोली के लोकनृत्य, ढाल-ढ़ोल की ताल और टोरमा बोलों की गूंज ने लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया।
ढालें मोरपंख और छतरीनुमा संरचना से सजी थीं, जिन्हें कमर पर बांधकर कलाकार पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत कर रहे थे।
गांव-गांव से आए कलाकारों ने मंच को लोक संस्कृति से रंग दिया।

खाने-पीने और घरेलू वस्तुओं की रही धूम

मेले में ग्रामीणों ने छोटी-छोटी दुकानों के माध्यम से खान-पान, मिठाई, ऋतु फल, सजावटी सामान, महिलाओं के श्रृंगार उत्पाद और खिलौनों की बिक्री की।
स्थानीय मिठाइयों और पारंपरिक व्यंजनों की खुशबू ने मेले की रौनक बढ़ा दी।

ग्राम की एकता और श्रद्धा का प्रतीक

मेले में ग्राम के बुजुर्गों, सरपंच प्रतिनिधि गजराज सिंह वर्मा, ग्राम पंचायत सदस्यों और वरिष्ठ नागरिकों का स्वागत व सम्मान किया गया।
मुख्य आयोजक गुनिया पांडा सहित ग्रामीणों ने मां गांगो के सामने अपने विचार रखे और ग्राम विकास से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की।

मढ़ई मेले Janta express live

मेले की जगह पर अतिक्रमण बना बड़ी परेशानी

ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम के प्राचीन तालाब, पंचायत भवन, अंबेडकर भवन, माता स्थल और शासकीय नल-जल टंकी परिसर के आसपास अवैध कब्जे तेजी से बढ़ रहे हैं।
इन्हीं अतिक्रमणों के कारण मेले की जगह संकीर्ण होती जा रही है, जिससे आयोजन में दिक्कतें बढ़ रही हैं।

ग्रामीणों ने निर्णय लिया है कि वे जल्द ही स्थानीय विधायक और मंत्री राव उदय प्रताप सिंह से मिलकर अतिक्रमण हटाने और मेले को विस्तृत स्वरूप देने की मांग करेंगे।

भविष्य के लिए ग्रामीणों की मांग

ग्रामवासी चाहते हैं कि अगले वर्षों में मढ़ई मेले को अधिक भव्य और सुव्यवस्थित रूप दिया जाए ताकि यह क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान के रूप में पूरे प्रदेश में जाना जाए।

खास आकर्षण:

  • पारंपरिक ढाल नृत्य
  • टोरमा बोल और लोकगीत
  • ग्वाल टोली का सामूहिक प्रदर्शन
  • स्थानीय मिठाई और हस्तशिल्प स्टॉल

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