क्राइममध्य प्रदेश

त्योहारों पर जुआ फड़ की सजी महफिले: सालीचौका में अवैध जुआ का कारोबार फल-फूल रहा है

सालीचौका (नरसिंहपुर) में दीपावली से ग्यारस तक अवैध जुआ फड़ चलने की शिकायतें बढ़ीं। बिना निवेश, 52 पत्तों और सुनसान जगह पर लाखों की कमाई; स्थानीय लोग नेताओं-प्रशासन पर मिलीभगत के आरोप लगा रहे हैं। पढ़ें पूरा विश्लेषण और सुझाव।

संवाददाता अवधेश चौकसे

सालीचौका, नरसिंहपुर।
दीपावली से लेकर ग्यारस तक के मौसमी त्योहारों के मौके पर सालीचौका और आसपास के गांवों में अवैध जुआ फड़ खुले आम चल रहे हैं। स्थानीय लोगों के आरोपों के अनुसार यह गतिविधि बड़े पैमाने पर चलने लगी है — न तो कोई निवेश की जरूरत, न फंड, बस 52 पत्ते और एक सुनसान स्थान; और फिर शुरू हो जाता है रात-दिन का धंधा।

क्या हो रहा है? — घटना का सार

  • साधन-साधनहीनता नहीं, सिर्फ़ एक जगह और मोटिवेट हुए खिलाड़ी — खेतखलियान, नदी किनारे, झोपड़ियाँ — जहां मोबाइल फोन के जरिए खिलाड़ी बुला लिए जाते हैं।
  • संचालक अक्सर छोटे-बड़े दबंग, स्थानीय प्रभावशाली लोग और उन नेताओं/सरकारी लोगों के संपर्क वाले होते हैं जिनके कारण ये फड़ आराम से चलते रहते हैं।
  • न‌तीजा: कुछ संचालक रातों-रात लाखों की कमाई कर लेते हैं, जबकि भोले-भाले लोग और परिवार इससे बर्बाद हो रहे हैं।
  • व्यवस्था का दोष: कार्रवाई अक्सर नाकाफी या सर्द-सरकार ठंडे ढंग की होती दिखती है — माहिर संचालकों पर तो नरम रवैया और आम खिलाड़ियों पर खानापूर्ति जैसी कार्यवाही होने के आरोप लगते हैं।

स्थानीय लोगों के आरोप और जो तथ्य सामने आए

  • कई स्थानीय मानते हैं कि कुछ सफेदपोश नेता और रिश्वतखोर प्रशासनिक लोग जानबूझकर इन फड़ों के संरक्षण में भूमिका निभाते हैं।
  • जुआ फड़ चलाने की लागत नगण्य है — इसलिए संचालक बिना किसी बड़े निवेश के भी बड़े दांव चला कर तेज़ आमदनी कर लेते हैं।
  • महीने भर के सीज़न में, सफल संचालन पर संचालक की आय रोजाना 20–30 हज़ार तक का आसान होता है, जो 15–20 दिन में लाखों तक पहुँच सकती है।
  • इससे प्रभावित आम घरों में कलह, पैसों का नुकसान, जमीन बेचना और सामाजिक उपद्रव जैसी स्थितियाँ उभरती हैं।

सामाजिक और कानूनी प्रभाव

  • आर्थिक रूप से कमजोर परिवार, मजदूर और छोटे व्यापारी जुए के चक्कर में फँसकर अपने जीवन का बचा हुआ धन भी गंवा देते हैं।
  • अवैध जुआ न केवल आर्थिक हानि है — इससे नशा, अपराध और स्थानीय शोषण भी बढ़ता है।
  • यदि शासन-प्रशासन में मिलीभगत की आशंकाएँ सही हैं तो यह कानून व्यवस्था और लोकशाही के तत्वों पर सीधा प्रहार है।

क्या होना चाहिए — सुझाए गए कदम (राह पर कार्रवाई)

  1. तुरंत और सघन छापेमारी: तीज-त्योहारों में सेलेब्रिटी हुई इन जुआ फड़ों पर विशेष टीमों द्वारा छापे।
  2. सूत्र-पहचान और छानबीन: किन नेताओं/प्रशासनिक कर्मियों के नाम इन रुट्स से जुड़े हैं, इसकी निष्पक्ष जाँच।
  3. स्थानीय जागरूकता अभियान: प्राथमिक स्तर पर समाज को शिक्षित कर जुआ के दुष्परिणाम दिखाना।
  4. पीड़ितों के लिये रिलीफ/काउंसलिंग: जो परिवार बर्बाद हुए, उनकी मदद के लिए सामाजिक व प्रशासनिक योजनाएँ लागू करनी चाहिए।
  5. ट्रांसपेरेंसी: अभियानों की पारदर्शिता और फाइनल रिपोर्ट सार्वजनिक की जानी चाहिए ताकि भ्रष्टाचार के आरोप मिटें या साबित हों।

प्रमुख उद्धरण

“सजा कम, पकड़े तो भैयाजी है न — फिर डर क्यों? जुआ फड़ के माहिर संचालकों पर नहीं बल्कि भोले-भाले लोगों पर खानापूर्ति कार्यवाही होती है।

 

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!