नर्मदा की गोद में मौत का तांडव, सोहागपुर में मगरमच्छ की मौत से वन विभाग में हड़कंप

संवाददाता राकेश पटेल इक्का
नर्मदापुरम में वन्यप्राणियों की मौत के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं, जिससे वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। हाल ही में एक मगरमच्छ का बच्चा मृत अवस्था में मिला, जिसकी उम्र करीब 2 से ढाई साल बताई जा रही है। यह घटना सोहागपुर के पास निम्भोरा सिंघवाड़ा में हुई, जहां वन विभाग के गश्ती दल ने सुबह 10:30 बजे मगरमच्छ के शव को देखा।
मृत मगरमच्छ का पोस्टमार्टम कराया गया है और शव को निम्भोरा नर्सरी में जलाया जा रहा है। वन विभाग की जांच में अभी तक शिकार की कोई आशंका नहीं है, लेकिन मृत्यु की वजह अभी स्पष्ट नहीं हो पाई है। डीएफओ मयंक गुर्जर ने बताया कि शव करीब 2 दिन पुराना है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृत्यु की पुष्टि हो पाएगी।
यह घटना ऐसे समय में हुई है जब नर्मदापुरम में बाघ और तेंदुआ की मौत के कई मामले सामने आ चुके हैं। 12 अगस्त को एसटीआर के मढ़ई में एक बाघ की मौत आपसी संघर्ष के कारण हुई थी, जबकि 22 अगस्त को तवा नदी के बैकवाटर में एक बाघ का शिकार हुआ था। इन घटनाओं से वन्यप्राणियों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है और वन विभाग की लापरवाही उजागर हुई है।
वन विभाग की टीम ने घटना स्थल की सर्चिंग कराई है और जांच जारी है। लेकिन सवाल यह है कि वन विभाग की इतनी बड़ी टीम होने के बावजूद भी वन्यप्राणियों की मौत के मामले कैसे बढ़ते जा रहे हैं? वन विभाग की लापरवाही और असफलता के कारण वन्यप्राणी अपनी जान गंवा रहे हैं।
वन्यप्राणियों की मौत के मामलों में वन विभाग की भूमिका पर सवाल उठना लाजिमी है। आखिरकार वन विभाग क्या कर रहा है? क्यों नहीं वन्यप्राणियों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं? इन सवालों का जवाब वन विभाग के पास नहीं है।
अब देखना यह है कि वन विभाग इन मामलों में क्या कार्रवाई करता है और वन्यप्राणियों की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाता है। नर्मदापुरम में वन्यप्राणियों की मौत के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं और वन विभाग की लापरवाही उजागर हो रही है।