Gopal Mandir Janmashtami 2025: ग्वालियर में 100 करोड़ के गहनों से सजे राधा-कृष्ण, देखें दुनिया का सबसे भव्य शृंगार
ग्वालियर के 100 साल पुराने गोपाल मंदिर में जन्माष्टमी पर राधा-कृष्ण का 100 करोड़ से अधिक कीमत के हीरे-जवाहरात जड़े गहनों से शृंगार किया गया। देखें तस्वीरें और जानें सुरक्षा व्यवस्था व इस अद्भुत परंपरा का इतिहास।

Gopal Mandir Janmashtami 2025: देशभर में जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई जा रही है। लेकिन ग्वालियर का गोपाल मंदिर इस अवसर पर खास आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यहां भगवान राधा-कृष्ण को 100 करोड़ रुपये से अधिक कीमत के हीरे-जवाहरात जड़े गहनों से सजाया गया है। भक्तों का मानना है कि यह दुनिया का सबसे भव्य और अद्वितीय शृंगार है, जिसके दर्शन के लिए हर साल हजारों श्रद्धालु ग्वालियर पहुंचते हैं।
100 करोड़ के गहनों से हुआ शृंगार
ग्वालियर के ऐतिहासिक गोपाल मंदिर की स्थापना वर्ष 1921 में सिंधिया रियासत के शासक माधवराव सिंधिया प्रथम ने की थी। उन्होंने भगवान की पूजा के लिए चांदी के बर्तन और रत्नजड़ित सोने के आभूषण बनवाए थे। स्वतंत्रता के बाद से यह आभूषण बैंक में सुरक्षित रख दिए गए थे, लेकिन वर्ष 2007 से हर जन्माष्टमी पर इन्हें दोबारा धारण कराया जाता है।
राधा-कृष्ण की झिलमिलाती ज्वेलरी
- राधा रानी का मुकुट: पुखराज, माणिक और पन्ना जड़े मुकुट, वजन करीब 3 किलो।
- श्रीकृष्ण का मुकुट: सोने का तोड़े मुकुट, जिस पर हीरे और मोती जड़े हैं।
- हार: सफेद मोती वाला पंचमढ़ी हार और सात लड़ी हार जिसमें 62 मोती व 55 पन्ने जड़े हैं।
- अन्य गहने: सोने की नथ, झुमके, कंठी, चूड़ियां, कड़े, बांसुरी और जंजीर।
- सोने-चांदी के बर्तन: पूजा सामग्री जैसे धूपदान, छात्र, इत्रदान, पिचकारी, निरंजनी, सब सोने-चांदी से निर्मित।
सुरक्षा के कड़े इंतजाम
जन्माष्टमी के दिन ग्वालियर नगर निगम की देखरेख में जेवरात बैंक के लॉकर से निकालकर भगवान का शृंगार किया गया। इस दौरान मंदिर परिसर में भारी पुलिस बल तैनात रहा। करीब 200 से ज्यादा जवान व अधिकारी सुरक्षा की निगरानी कर रहे थे।
भक्तों का उत्साह
भक्तों का कहना है कि राधा-कृष्ण के इस स्वरूप के दर्शन से जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। जन्माष्टमी पर मंदिर में हजारों की भीड़ उमड़ी और श्रद्धालुओं ने इस अद्भुत शृंगार के दर्शन कर खुद को धन्य महसूस किया।
- मंदिर स्थापना: 1921
- स्थान: ग्वालियर, मध्य प्रदेश
- आभूषणों की कीमत: लगभग 100 करोड़ रुपये
- रत्न: हीरा, माणिक, पन्ना, पुखराज, मोती
- सुरक्षा बल: 200+ जवान
- परंपरा पुनः शुरू: 2007 से हर जन्माष्टमी पर