20सितंबर सालीचौका एवं 25 सितंबर को भोपाल में किसानों का विशाल प्रदर्शन

सालीचौका /भोपाल। मध्य प्रदेश किसान सभा के गाडरवारा तहसील अध्यक्ष लीलाधर वर्मा, महासचिव देवेंद्र वर्मा ने विज्ञप्ति जारी कर किसानों से अपनी बुनियादी मांगो को लेकर सरकार से किसान मजदूर विरोधी नीतियो के खिलाफ किसानों से 20सितंबर को सालीचौका पुलिस चौकी प्रभारी को मुख्यमंत्री को ज्ञापन देने एवं 25सितम्बर को भोपाल चलने की अपील की है।वर्तमान में प्रदेश भर में भाजपा सरकार के कार्यकाल में जमीन की लूट मची हुई है। गैरजरूरी परियोजनाओं के नाम पर वेतहाशा भूमि अधिग्रहण किया जारहा है। जिसमें किसानों की वेशकीमती, बहुफसली जमीन अधिग्रहित की जा रही है और मुआवजा नाम मात्र का दिया जा रहा है। शासकीय, पड़ती, चरनोई ,बीहड़, जंगलों की और सभी तरह की जमीनों को कॉर्पोरेट कंपनियों को सोपा जा रहा है। हालात यहां तक है कि अब जंगलों का भी निजीकरण किया जा रहा है ,उन्हें कार्पोरेट्स के हवाले करने की कार्यवाही प्रदेश भर में जारी है। पीढ़ियों से जंगलों में बसे आदिवासी और गरीब किसानों को बेदखल किया जा रहा है। अभी तक प्रदेश में लाखों हेक्टेयर जमीन कंपनियों को सौंप दी गई है।
अटल प्रोग्रेस हाईवे, ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस हाईवे,लघु उद्योग निगम, औद्योगिकरण, कई परियोजनाओं के नाम से किसानों की जमीन को कौड़ियों के दाम पर लूटा जा रहा है और लूटने की तैयारी है। इसी तरह चंबल के बीहड की जमीन, जंगलों की जमीन, खदानों की जमीन, कई तरह की जमीनों को कई परियोजनाओं के नाम से लूटा जा रहा है। यह सिलसिला लगातार जारी है। वायदा किया गया था कि, दलित, गरीब और आदिवासीयों , भूमिहीन किसानों को जमीन दी जाएगी लेकिन उन्हें जमीन नहीं दी गई। बल्कि उन्हें जमीनों से उजाड़ा जा रहा है और कंपनियों को जमीन आवंटित की जा रही है।
संघर्ष और कुर्बानियों के बाद बनाए गए भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को मध्य प्रदेश में लागू नहीं किया जा रहा है। बल्कि टाउन एंड कंट्री प्लानिंग अधिनियम, लैंड पूल योजना आदि के नाम पर किसानों की जमीन को बिना मुआवजे के भी हड़पा जा रहा है। स्थिति अत्यंत चिंताजनक है।
यही स्थिति नगरीय क्षेत्रों में और ग्रामीण क्षेत्रों में आवासहिन परिवारों की है। संघर्ष के जरिए आवासीय पट्टे और आवास स्वीकृत करने के संघर्ष में कामयाबी मिली, परंतु अब उसे लागू नहीं किया जा रहा है। जो वास्तव में आवासहीन परिवार है न उनको पट्टे दिए जा रहे हैं और न हीं उन्हें आवास। कई स्थानों पर उनकी बेदखली की कार्यवाहियां भी की जा रही है।
स्थिति यहां तक ही नहीं रुकी है। नदियों का भी निजीकरण किया जा रहा है। देश के साथ प्रदेश में शिक्षा से छात्रों को वंचित करने के लिए सी एम राइस और पीएम राइज स्कूल खोलकर 01 लाख 22 हजार स्कूलों को बंद करने की कार्यवाही लगातार जारी है। अभी तक लगभग 30 हजार शासकीय स्कूल प्रदेश में बंद किया जा चुके हैं। बिजली का भी निजीकरण किया जा रहा है। स्मार्ट मीटर लगाने की कार्यवाही शुरू हो गई है। इससे आप जनता के हाथों से बिजली भी चली जाएगी। रोजगार की हालत पहले से ही खराब है। स्थिति इतनी भयावह है कि एक-एक जिले से लाखों नौजवान अन्य प्रांतों में मजदूरी करने जा रहे हैं। इन्हें अप्रवासी श्रमिक कहा जा रहा है। उनकी दुर्दशा किसी से छुपी नहीं है। रोजगार के नाम पर चलाई जा रही मनरेगा योजना पूरी तरह से संस्थागत भ्रष्टाचार के मकड़ जाल में फस गई है। इसका लाभ न तो श्रमिकों को मिल पा रहा है न ही आम जनता को, मनरेगा में चारों ओर शासकीय धन ( जनता के धन की)लूट मची हुई है। खाद के नाम पर किसानों की लूट सब के सामने हो रही है। सरकार की तरफ से और मंत्रियों की तरफ से बार-बार यह वक्तव्य जारी किए जा रहे हैं कि खाद की कोई कमी नहीं है, जबकि हकीकत यह है कि खाद कहीं उपलब्ध ही नहीं है। किसान दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं। किसान लगातार बदहाली के शिकार हो रहे हैं। मूंग का भुगतान अभी तक नहीं हुआ, धान खरीदी में किसानों को समस्या न बने सरकार समुचित व्यवस्था करे।
इस स्थिति में हमारी मांग है कि
1/गैर जरूरी परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण के नाम पर किसानों की बेदखली और जमीन की लूट बंद की जाए।
2/जरूरी परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण में किसानों की जमीन का मुआवजा , भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के अनुसार बाजार मूल्य से पांच गुना दिया जाए।
3/वनाधिकार कानून 2005 के अनुसार जंगल की जमीन पर पीढ़ियों से काबिज आदिवासी परिवारों और अन्य को पट्टे और कब्जे दिलाए जाएं और उनकी अनावश्यक बेदखली रोकी जाए। जंगलों का निजीकरण नहीं किया जाए।
4/नगरीय एवं ग्रामीण आवासहीन परिवारों को आवास के पट्टे और आवास दिए जाएं।
5/शासकीय जमीन कंपनियों को नहीं दी जाए ,किसानों को आवंटित की जाए पट्टे दिए जाएं और कब्जा दिलाया जाए।
6/भूमि अधिग्रहण कानून 2013 मध्य प्रदेश में लागू किया जाए। इसी तरह से जमीन लूटने के लिए बनाए गए कानूनों और योजनाओं को रद्द किया जाए। पेसा कानून का सख्ती से पालन किया जाए।
स्थानीय मांगें
1/ समर्थन मूल्य पर खरीदी गई मूंग का शेष भुगतान तत्काल किया जाए।
2/धान 3100रु क्विंटल खरीदी जाय समर्थन मूल्य से ऊपर की राशि राज्य सरकार बोनस के रूप में भुगतान करे।
3/ धान खरीदी केंद्रों पर पर्याप्त व्यवस्था के साथ समय सीमा के अंदर भुगतान कराया जाय।
4/आगामी फसल के लिए खाद बीज का पर्याप्त मात्रा में भंडारण किया जाय।
5/गन्ने का रेट 550रु प्रति क्विंटल किया जाय, मिल रेट से ऊपर का भुगतान राज्य सरकार एस ए पी के माध्यम से भुगतान करे।
6/बिजली के बढ़े पावर कम किए जाएं एवं स्मार्ट मीटर लगाने पर तत्काल रोक लगाई जाए।
आइए , संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए हजारों हजार की संख्या में 20सितंबर को पुलिस चौकी प्रभारी सालीचौका को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन उपरांत 24 सितंबर को रात्रि इंदौर बिलासपुर से भोपाल के लिए चलें! 25 सितंबर को भोपाल में होने वाले आंदोलन में ज्यादा से ज्यादा संख्या में भागीदारी करें और अपनी समस्याओं / मांगों को मानने के लिए सरकार को बाध्य करें।