हनुमान चालीसा और सुंदरकांड के साथ एनटीपीसी आंदोलन का शुभारंभ — किसानों और श्रमिकों ने उठाई आवाज़, बोले “अब अन्याय नहीं सहेंगे”
गाडरवारा एनटीपीसी में श्रमिकों और किसानों का आंदोलन हनुमान चालीसा पाठ से शुरू, 11 सूत्रीय मांगों को लेकर शांतिपूर्ण विरोध जारी।

गाडरवारा। एनटीपीसी गाडरवारा परियोजना क्षेत्र में संविदा श्रमिकों और प्रभावित किसानों ने अपने अधिकारों और 11 सूत्रीय मांगों को लेकर शांतिपूर्ण आंदोलन की शुरुआत की है। आंदोलन की शुरुआत हनुमान चालीसा और सुंदरकांड पाठ से की गई, जिससे माहौल में आस्था और संघर्ष की ऊर्जा भर गई।
जय बजरंगबली के जयघोष से पूरा परिसर गूंज उठा। आंदोलनकारी श्रमिकों और किसानों ने संकल्प लिया —
“अब अन्याय नहीं सहेंगे, अपना हक लेकर रहेंगे।”
श्रमिकों ने कहा — ‘यह विरोध नहीं, सत्य और श्रम की पूजा है’
आंदोलन में शामिल श्रमिकों ने कहा कि यह संघर्ष केवल वेतन या सुविधा का नहीं, बल्कि सम्मान और अधिकार की लड़ाई है। उन्होंने एनटीपीसी प्रबंधन से बार-बार दिए गए ज्ञापनों पर कार्रवाई न होने पर नाराजगी जताई।
किसानों और श्रमिकों की 11 प्रमुख मांगें
- सभी श्रमिकों को फिक्स वेतनमान और हर वर्ष 10% वेतन वृद्धि मिले।
- सभी के लिए ESIC मेडिकल या हेल्थ इंश्योरेंस की व्यवस्था की जाए।
- सभी प्रभावित किसानों को रोजगार का अवसर दिया जाए।
- एनटीपीसी और एजेंसियों में केवल स्थानीय किसानों के वाहन लगाए जाएं।
- 60 वर्ष पेंशन योजना निरंतर लागू रहे।
- मृत किसानों के वारिसों को PAP कार्ड प्रदान किए जाएं।
- प्रस्तावित बिजली सब-स्टेशन और मेहरखेड़ा-घाटपीपरिया नदी पुल का निर्माण तुरंत शुरू हो।
- फ्लाई एश प्रदूषण से दूषित जल की समस्या का निराकरण किया जाए।
- अस्पतालों में सभी बीमारियों की मुफ्त दवा और इलाज की व्यवस्था हो।
- ग्राम विकास कार्य स्थानीय समितियों के माध्यम से कराए जाएं।
- बाल भारती स्कूल में किसानों के बच्चों को 75% फीस छूट और प्राथमिकता दी जाए।
आंदोलन को किसानों का मिला समर्थन
आंदोलन को गाडरवारा और आसपास के किसानों का व्यापक समर्थन मिल रहा है। किसान नेता सुरेन्द्र पटेल (मझलेभैया) ने आंदोलन स्थल पहुंचकर सभी श्रमिकों और किसानों को समर्थन देने की घोषणा की। उन्होंने कहा
“यह संघर्ष विकास और न्याय दोनों के लिए है, इसे हर हाल में जीतना होगा।”
शांतिपूर्ण और संवैधानिक आंदोलन का संकल्प
आंदोलनकारियों ने स्पष्ट किया है कि यह प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण, अनुशासित और संवैधानिक होगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि एनटीपीसी प्रबंधन ने उनकी मांगें नहीं मानीं, तो वे आगे धरना-प्रदर्शन करने पर बाध्य होंगे, जिसकी जिम्मेदारी प्रबंधन की होगी।







