मध्य प्रदेश
सालीचौका कृषकों का बैतूल भ्रमण: गन्ने की नई तकनीक और ड्रिप सिंचाई का प्रशिक्षण
ड्रिप सिंचाई से गन्ने का उत्पादन 600–700 क्विंटल प्रति एकड़, सालीचौका कृषकों ने लिया प्रशिक्षण

संवाददाता अवधेश चौकसे
सालीचौका (नरसिंहपुर)। स्थानीय नर्मदा शुगर मिल पोडार द्वारा क्षेत्रीय किसानों के लिए एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम के तहत कृषकों के दल को बैतूल भेजा गया, जहां उन्होंने गन्ने की 86032 किस्म और ड्रिप आधारित सिंचाई तकनीक का अध्ययन व अवलोकन किया।
गन्ने की 86032 किस्म पर फोकस
- किसानों ने बताया कि इस क्षेत्र में अधिकतर किसान 86032 किस्म की ही खेती करते हैं।
- 5 फीट की नाली बनाकर रोपाई की जाती है।
- रासायनिक खाद में गोबर की सड़ी खाद मिलाई जाती है।
- एक आंख की गिल्ली को एक-एक फीट के अंतर पर लगाया जाता है।
- कल्लों की संख्या बनाए रखने पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
ड्रिप सिंचाई से बढ़ा उत्पादन
- बैतूल के किसानों ने बताया कि अधिकांश कृषक टपक सिंचाई पद्धति (Drip Irrigation) अपना रहे हैं।
- इससे फसल को आवश्यक मात्रा में संतुलित पानी मिलता है और खुले पानी की अपेक्षा बर्बादी नहीं होती।
- ड्रिप सिस्टम से पौधों को सीधे खाद भी दी जाती है।
- इस तकनीक के चलते खरपतवार की समस्या भी कम होती है।
प्रति एकड़ 600–700 क्विंटल उत्पादन
ड्रिप आधारित सिंचाई और वैज्ञानिक तरीकों के उपयोग से यहां के किसान प्रति एकड़ 600–700 क्विंटल गन्ने का उत्पादन प्राप्त कर रहे हैं। यह पारंपरिक खेती की तुलना में अधिक है।
कृषकों ने जताया आभार
भ्रमण दल के कृषकों ने नर्मदा शुगर मिल प्रबंधन का आभार जताया और कहा कि इस तरह के प्रशिक्षण से उन्हें आधुनिक तकनीक और बेहतर उत्पादन के नए रास्ते मिल रहे हैं।