मध्य प्रदेशस्वास्थ्य

सफाईकर्मी गायब, टंकी में गंदा पानी, लैट्रिन जर्जर — बसुरिया स्कूल की हालत शर्मनाक, प्रशासन की नींद अभी तक नहीं टूटी!

सालीचौका के बसुरिया शासकीय स्कूल में गंदगी, बंद नल, टूटी हुई लैट्रिन और गंदा पीने का पानी — मप्र किसान सभा ने ज्ञापन सौंपते हुए 15 दिनों में समाधान नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी। प्रशासन अब तक मौन है।

संवाददाता अवधेश चौकसे

सालीचौका (नरसिंहपुर)।

यह कोई मामूली शिकायत नहीं — यह बच्चों की ज़िंदगियों पर सरासर लापरवाही का मामला है। बसुरिया ग्राम के शासकीय स्कूल में हालत ऐसी बदतर है कि वहाँ पढ़ने वाले बच्चों को बीमारी का खुला निमंत्रण भेजा जा रहा है। पानी की टंकी गंदी, वाटर कूलर गंदी और लंबे समय से बिना सफाई के पड़ा हुआ; लैट्रिन-बाथरूम बदहाली की तस्वीर; नलों से पानी नहीं आ रहा; मच्छरों व सांपों की मौजूदगी — और प्रशासन मौन।

मध्य प्रदेश किसान सभा तहसील समिति, सालीचौका के अध्यक्ष लीलाधर वर्मा व महासचिव देवेंद्र वर्मा ने मौके का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया और भारी चिंता जताते हुए झुलसे सवाल प्रशासन से दिये। किसान सभा ने दोषियों की जिम्मेदारी तय करने और त्वरित सुधार के लिए 15 दिनों का अल्टीमेटम सौंपा है — अन्यथा शांतिपूर्ण परन्तु सख्त आन्दोलन, धरना और जन प्रदर्शन किया जाएगा।

मामले की गंभीर समस्याएँ (साक्ष्यगत विवरण):

  • पीने के पानी में दुर्गंध: बच्चे पानी पीने से डरते हैं; कई तो घर से पानी लाकर पीते हैं — यह सीधे स्वास्थ्य और पोषण के अधिकार का हनन है।
  • वाटर कूलर व पानी टंकी की लम्बी अव्यवस्था: सफाई नहीं; जैविक संक्रमण का जोखिम।
  • लैट्रिन-बाथरूम की बदहाली: गंदगी, टूटे गेट, नल बंद — शौचालय अमानवीय स्थिति में।
  • सांप कक्षाओं में आना: सुरक्षा व्यवस्था शून्य, बच्चों पर जानलेवा जोखिम।
  • मच्छरों का आतंक: डेंगू/मलेरिया का खतरा।
  • सफाईकर्मी की हठात अनुपस्थिति: ग्रामीणों के अनुसार पहले सफाईकर्मी था; अब वह हटा दिया गया — क्यों? जिम्मेदार कौन?
  • कक्षाओं का अस्थायी शेड्यूल: कम कमरों के बहाने सुबह 7 से 12 तक पहली-आठवीं क़ी क्लास; ठंड में यह व्यवस्था शिक्षा के अधिकार के अनुकूल नहीं और शिक्षकों व बच्चों की सुरक्षा को दरकिनार करती है।

सफाईकर्मी गायब, टंकी में गंदा पानी, लैट्रिन जर्जर — बसुरिया स्कूल की हालत शर्मनाक, प्रशासन की नींद अभी तक नहीं टूटी!

किसान सभा की सख्त चेतावनी (संक्षेप):

“प्रशासन अगर 15 दिनों के भीतर स्कूल परिसर की सफाई, पीने के पानी की जांच व मरम्मत, टूटी लैट्रिन की मरम्मत और सफाईकर्मी की तात्कालिक नियुक्ति नहीं कराता — तो हम कानूनी, शांतिपूर्ण और निर्णायक आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। जिम्मेदारी पूरी तरह शासन-प्रशासन की होगी।” — मध्यप्रदेश किसान सभा

प्रशासन से मांगे (तत्काल):

  1. 48 घंटे के भीतर प्राथमिक सफाई और वाटर कूलर/टंकी की पूर्ण सेनिटाइज़ेशन।
  2. 72 घंटे के भीतर क्षतिग्रस्त लैट्रिन-बाथरूम के नलों व गेटों की मरम्मत और नियमित सफाईकर्मी की नियुक्ति।
  3. पीने के पानी का बैक्टीरियोलॉजिकल परीक्षण कर परिणाम सार्वजनिक रूप से प्रकाशित किया जाए।
  4. कक्षा-संख्या और शेड्यूल का तात्कालिक पुनर्गठन ताकि ठंड में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित हो।
  5. शिक्षा विभाग द्वारा 7 दिनों के भीतर निरीक्षक भेजकर रिपोर्ट तैयार कर प्रशासन और जनता के बीच साझा करे।

कानूनी वैधानिक संदर्भ (नागरिकों के अधिकार):

सुरक्षित और स्वच्छ शिक्षा का अधिकार संविधान और मानवीय कर्तव्यों के अनिवार्य दायरे में आता है। यदि प्रशासन ने अनदेखी जारी रखी तो किसान सभा का आंदोलन एक न केवल वैध, बल्कि नैतिक कदम होगा — और जनहित याचिका व मीडिया रिपोर्टिंग भी संघर्ष के अगले चरण होंगे।

अगला कदम — जनता का दायित्व:

किसान सभा ने आश्वासन दिया है कि यदि 15 दिनों में सुधारात्मक कार्रवाई नहीं हुई तो वे शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन, प्राथमिक पहचान अभियान और संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध सार्वजनिक जनआंदोलन करेंगे। वे गाडरवारा तहसील के शासकीय हाई स्कूल, आंगनवाड़ी और राशन दुकानों का निरीक्षण भी करेंगे और आवश्यकता होने पर आगे की रणनीति सार्वजनिक करेंगे।

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