संजय मस्ताना जीवित रखे हुए हैं बहरूपिया परंपरा, हर दिन नए किरदार से करते हैं लोगों का मनोरंजन
संजय मस्ताना पारंपरिक बहरूपिया कला को जीवित रखे हुए हैं। हर दिन नए किरदार में नजर आने वाले संजय अपने अभिनय से नगरवासियों को हँसी और खुशी बाँट रहे हैं।

गाडरवारा (अब्दुल फिरोज खान बबलू)। आधुनिक मनोरंजन के इस युग में जहाँ पारंपरिक कलाएँ धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही हैं, वहीं गाडरवारा में आये हुए संजय मस्ताना आज भी बहरूपिया परंपरा को जीवित रखे हुए हैं। अपने अनोखे अभिनय और सजीव प्रस्तुति से वे नगरवासियों का खूब मनोरंजन कर रहे हैं।
फिल्मी अंदाज में पेश करते हैं बहरूपिया कला
इन दिनों संजय मस्ताना को नगर में अक्सर फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ के किरदार में देखा जा सकता है।
वे “जीना यहाँ, मरना यहाँ, इसके सिवा जाना कहाँ…” जैसे मशहूर गीतों पर अभिनय करते हुए पूरे नगर में घूमते हैं और लोगों को हँसी और भावनाओं के संगम का अनुभव कराते हैं।
हर दिन एक नया किरदार, हर चेहरा मुस्कुराता
संजय मस्ताना की खासियत यह है कि वे हर दिन एक नया किरदार निभाते हैं — कभी जोकर, कभी साधु, तो कभी किसी फिल्मी पात्र का रूप धारण कर लोगों के बीच पहुँचते हैं।
उनका अभिनय न केवल मनोरंजन का माध्यम है बल्कि एक सामाजिक संदेश भी देता है — कि कला कभी पुरानी नहीं होती, बस उसे सहेजने की ज़रूरत होती है।
लोगों से मिल रहा है भरपूर स्नेह
संजय मस्ताना बताते हैं कि गाडरवारा नगर और यहाँ के लोग उनके परिवार की तरह हैं।
उन्हें लोगों से जो प्रेम और अपनापन मिलता है, वही उनकी असली प्रेरणा है।
जैसे ही वे नगर की गलियों में निकलते हैं, बच्चों की भीड़ उनके पीछे लग जाती है और हर कोई उनके साथ फोटो खिंचवाने को उत्साहित रहता है।
बहरूपिया परंपरा को दे रहे नई पहचान
बहरूपिया कला, जो कभी भारत की लोक संस्कृति का अहम हिस्सा हुआ करती थी, आज संजय मस्ताना जैसे कलाकारों की बदौलत फिर से लोगों की यादों में लौट रही है।
उनका यह प्रयास न केवल हँसी बाँटने का काम कर रहा है, बल्कि भारतीय लोक संस्कृति को संजीवनी देने का भी कार्य कर रहा है।
मुख्य बिंदु:
- संजय मस्ताना रोज़ाना अलग-अलग किरदार निभाते हैं।
- “मेरा नाम जोकर” फिल्म के अंदाज़ में लोगों को करते हैं मनोरंजित।
- गाडरवारा के लोगों से मिल रहा है अपार प्रेम और स्नेह।
- बच्चों और बड़ों सभी के बीच लोकप्रिय हो चुके हैं संजय मस्ताना।
- बहरूपिया परंपरा को दे रहे हैं नई ऊर्जा और पहचान।