शिवपुरी नगर पालिका में हड़कंप: 18 पार्षदों का सामूहिक इस्तीफा, अध्यक्ष पर आरोपों की बौछार
शिवपुरी नगर पालिका में बगावत! 18 पार्षदों ने सामूहिक इस्तीफा देकर अध्यक्ष पर भ्रष्टाचार और मनमानी के आरोप लगाए। क्या अब होगी कार्रवाई या सत्ता का कवच बचाएगा?

शिवपुरी। मध्यप्रदेश की नगर पालिका राजनीति में गुरुवार को बड़ा भूचाल आया। शिवपुरी नगर पालिका में 18 पार्षदों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया। इस इस्तीफे के बाद प्रशासन और राजनीतिक गलियारे में हलचल मच गई।
पार्षदों का आरोप: अध्यक्ष की मनमानी और विकास कार्य ठप
नगर पालिका के पार्षद कई दिनों से अध्यक्ष से नाराज थे। उनका आरोप है कि नगर पालिका अध्यक्ष अपने मनमाने तरीके से काम कर रही हैं और उनके वार्डों में विकास कार्य ठप पड़े हैं।
नाराज पार्षदों ने यह भी कहा कि उन्होंने नगर पालिका में भ्रष्टाचार के कई मामले उजागर किए और कार्रवाई की मांग की।
अविश्वास प्रस्ताव के बाद इस्तीफा
इससे पहले पार्षदों ने अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी लाया था, लेकिन यह प्रस्ताव गिर गया। इसके बाद पार्षदों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया और नगर पालिका अध्यक्ष को पद से हटाने की मांग करते हुए जोरदार नारेबाजी की।
इस्तीफे का राजनीतिक विवरण:
- 12 पार्षद बीजेपी के
- 4 पार्षद कांग्रेस के
- 2 पार्षद निर्दलीय
प्रशासन और राजनीतिक हलचल
फिलहाल कलेक्टर ने इस्तीफे को स्वीकार करने या न करने पर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी है। लेकिन इस सामूहिक बगावत से शिवपुरी नगर पालिका में भ्रष्टाचार और तानाशाही के आरोपों के बीच राजनीतिक संकट खड़ा हो गया है।
सूत्रों के मुताबिक, इस स्थिति से निपटने के लिए मध्यप्रदेश सरकार अध्यक्ष का चुनाव डायरेक्ट कराकर संभावित राजनीतिक समाधान ढूंढ सकती है।
राजनीतिक निहितार्थ
शिवपुरी में यह इस्तीफा केवल स्थानीय घटना नहीं है, बल्कि यह भाजपा के लिए सिंधिया के गढ़ में राजनीतिक चुनौती के रूप में देखा जा रहा है।
यह घटना यह साफ कर देती है कि पार्षद अब केवल राजनीतिक दबाव में नहीं झुकेंगे और भ्रष्टाचार व मनमानी के खिलाफ सख्त रुख अपना सकते हैं।