क्राइममध्य प्रदेश

रतलाम बोलेरो घोटाला: 6 साल से न्याय के लिए भटकता रहा किसान, सीएम मोहन यादव ने दिए तत्काल कार्रवाई के आदेश

रतलाम। मध्यप्रदेश के रतलाम जिले का बहुचर्चित बोलेरो घोटाला आखिरकार 6 साल बाद सुर्खियों में आया, जब एक किसान की पीड़ा सुनकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को खुद हस्तक्षेप करना पड़ा। किसान ने मुख्यमंत्री से गुहार लगाई और भावुक होकर उनके पैर पकड़ लिए। इस पर सीएम ने पुलिस को तुरंत IPC 420 के तहत मामला दर्ज करने और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए।

2018 का बोलेरो घोटाला: कैसे फंसा किसान?

  • रतलाम जिले के सरसाना गांव निवासी किसान पूनमचंद्र ने साल 2018 में भगवती शोरूम से बोलेरो वाहन खरीदी।
  • कुछ समय बाद खुलासा हुआ कि जिस बोलेरो को नया बताकर बेचा गया, वह पहले से किसी अन्य व्यक्ति को बेची जा चुकी थी।
  • इतना ही नहीं, गाड़ी का एक्सीडेंट भी हो चुका था, जिसे छुपाकर किसान को ठगा गया।
  • पीड़ित किसान ने उसी समय पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन शोरूम संचालक के खिलाफ अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

6 साल तक न्याय के लिए भटकता रहा किसान

इस धोखाधड़ी के मामले को 6 साल बीत गए, लेकिन प्रशासन और पुलिस की लापरवाही के चलते किसान को न्याय नहीं मिल पाया।

  • बार-बार शिकायत करने के बावजूद एफआईआर में प्रगति नहीं हुई।
  • आरोपी शोरूम संचालक खुलेआम घूमता रहा और पीड़ित किसान परेशान होता रहा।
  • अंत में मजबूर होकर किसान मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचा और अपनी व्यथा सुनाई।

सीएम मोहन यादव का सख्त रुख: “इसे 420 में बंद करो”

किसान की पीड़ा सुनते ही मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव नाराज़ हो गए और मौके पर ही पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया—

  • आरोपी शोरूम संचालक पर तत्काल IPC 420 (धोखाधड़ी का मामला) दर्ज किया जाए।
  • 6 साल की लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की भी जवाबदेही तय की जाए।
  • पीड़ित किसान को भरोसा दिलाया कि अब और देरी नहीं होगी।

सीएम का यह आदेश सुनते ही वहां मौजूद लोगों ने राहत की सांस ली।

किसान की भावनाएं और सीएम की सांत्वना

किसान पूनमचंद्र भावुक होकर मुख्यमंत्री के चरणों में गिर पड़ा और रोते हुए बोला –
“मुझे इंसाफ दिलाइए, मैं 6 साल से न्याय के लिए दर-दर भटक रहा हूँ।”

सीएम मोहन यादव ने उसे उठाकर गले लगाया और आश्वस्त किया कि अब न्याय मिलेगा और दोषियों को सजा से बचने नहीं दिया जाएगा।

सिस्टम पर उठते सवाल

यह मामला सिर्फ एक किसान का नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े करता है—

  • आखिर क्यों एक साधारण नागरिक को 6 साल तक न्याय से वंचित रहना पड़ा?
  • पुलिस और प्रशासन की सुस्ती के कारण मामला इतने साल लटका क्यों रहा?
  • क्या बिना शीर्ष नेतृत्व के दबाव के न्याय पाना संभव नहीं?

जनता की नजर में बड़ा मुद्दा

रतलाम बोलेरो घोटाला अब सिर्फ एक स्थानीय मामला नहीं रहा। यह किसानों और आम जनता के लिए सिस्टम की जवाबदेही का प्रतीक बन गया है। सोशल मीडिया पर भी लोग सवाल पूछ रहे हैं कि—
“क्या आम आदमी को न्याय दिलाने के लिए हमेशा मुख्यमंत्री तक जाना होगा?”

निष्कर्ष

रतलाम का यह बोलेरो घोटाला इस बात का उदाहरण है कि सिस्टम की लापरवाही कैसे आम नागरिकों को सालों तक परेशान करती है। मुख्यमंत्री मोहन यादव का त्वरित हस्तक्षेप पीड़ित किसान के लिए राहत तो है, लेकिन अब सभी की नजर इस पर टिकी है कि पुलिस कितनी जल्दी और कितनी सख्ती से कार्रवाई करती है।

 

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