मुख्यालय पर रहते हुए भी बच्चों से नहीं मिली विधायक
कलेक्टर-सांसद पहुंचे, पर क्षेत्रीय महिला विधायक ने नहीं दी तवज्जो

शाहपुर (शैलेन्द्र गुप्ता)। एकलव्य आवासीय विद्यालय शाहपुर के छात्र-छात्राओं ने बुधवार को हॉस्टल की अव्यवस्थाओं और खराब भोजन व्यवस्था को लेकर पैदल मार्च किया। विद्यार्थियों की जिद थी कि वे सीधे बैतूल कलेक्टर से मिलेंगे। जैसे ही बच्चे स्कूल से निकलकर सड़क पर पहुंचे, शिक्षा विभाग और प्रशासन में हड़कंप मच गया।

सूचना मिलते ही कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी तुरंत मौके पर पहुंचे। उन्होंने बरेठा के पास बच्चों को रोका और सरकारी वाहनों से उन्हें वापस विद्यालय लाए। कलेक्टर ने करीब डेढ़ घंटे तक बंद कमरे में छात्र-छात्राओं से चर्चा की और उनकी समस्याएं विस्तार से सुनीं।
घटना की गंभीरता को देखते हुए केंद्रीय राज्य मंत्री और क्षेत्रीय सांसद दुर्गादास उईके भी अपना कार्यक्रम छोड़कर विद्यालय पहुंचे। उन्होंने बच्चों को आश्वस्त किया कि हर समस्या का समाधान प्राथमिकता पर किया जाएगा।

विधायक पर उठे सवाल
इस बीच क्षेत्रीय विधायक, जो कि महिला जनप्रतिनिधि हैं, उसी समय शाहपुर मुख्यालय पर मौजूद थीं। वे महाविद्यालय परिसर में वृक्षारोपण और भौंरा स्वास्थ्य केंद्र में फल वितरण जैसे कार्यक्रमों में शामिल रहीं, लेकिन बच्चों से मिलने विद्यालय नहीं गईं।
छात्र-छात्राओं और स्थानीय नागरिकों में इस बात को लेकर गहरी नाराज़गी देखी गई कि मुख्यालय पर रहते हुए भी विधायक ने विद्यार्थियों की गंभीर समस्याओं की अनदेखी की। लोगों ने कहा कि यह रवैया आदिवासी बच्चों के प्रति संवेदनशीलता पर सवाल खड़ा करता है।
पिछले वर्ष हुए सीसीटीवी कांड को लेकर भी विधायक ने निरीक्षण किया था, लेकिन एक वर्ष बीत जाने के बाद भी मामले में लीपापोती ही हुई और ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
मंडल अध्यक्ष की भी नहीं हो रही सुनवाई
इससे पहले भाजपा मंडल अध्यक्ष एवं नगर पालिका पार्षद नीतू गुप्ता ने अपने साथियों के साथ विद्यालय का निरीक्षण किया था। उस दौरान बच्चों ने पतली दाल, जली हुई रोटियां और पीले चावल परोसे जाने की शिकायत की थी। मंडल अध्यक्ष ने मामले की शिकायत सीएम हेल्पलाइन और क्षेत्रीय विधायक को भी की थी।
लेकिन, शिकायत के बाद भी विद्यालय प्रबंधन ने भोजन की गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं किया। नतीजतन छात्रों को मजबूर होकर सड़क पर उतरना पड़ा। स्थानीय लोगों का कहना है कि —
“जब अपनी ही सरकार में मंडल अध्यक्ष की शिकायत पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आम बच्चों की सुनवाई कैसे होगी?”
इस पूरे घटनाक्रम ने शिक्षा विभाग और जनप्रतिनिधियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।