मप्र हाईकोर्ट का कड़ा रुख: “जब नेता ही करा रहे हैं ट्रांसफर, तो इन्हें ही प्रशासन-कोर्ट में बैठा दें”
वायरल नोटशीट से खुलासा – नेताओं की सिफारिश पर हुए तबादले

जबलपुर। शहडोल जिले में पंचायत सचिवों के बड़े पैमाने पर हुए तबादलों के मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कड़ा रुख अपनाया। वायरल हुई नोटशीट के आधार पर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने नाराजगी जताई।
नेताओं के दबाव पर उठाए सवाल
बेंच ने टिप्पणी की कि – “जब विधायक, सांसद और पार्टी पदाधिकारी ही ट्रांसफर करा रहे हैं, तो इन्हें ही प्रशासन और कोर्ट में बैठा देना चाहिए।” कोर्ट ने कहा कि प्रशासनिक कामकाज में इस तरह का राजनीतिक हस्तक्षेप बेहद गंभीर है और यह व्यवस्था को कमजोर करता है।
क्या है मामला?
- 13 जून 2025 को जिला पंचायत सीईओ ने 81 पंचायत सचिवों का तबादला किया था।
- इसके बाद एक नोटशीट वायरल हुई, जिसमें साफ तौर पर दर्ज था कि तबादले स्थानीय सांसद, विधायक, उपमुख्यमंत्री, नगर अध्यक्ष और जिला अध्यक्ष तक की सिफारिशों के आधार पर किए गए।
- जबकि ट्रांसफर नीति 2025 के अनुसार केवल प्रभारी मंत्री की स्वीकृति आवश्यक है।
कोर्ट का सख्त रुख
हाईकोर्ट ने इस पूरी प्रक्रिया को राजनीतिक दबाव से प्रभावित माना और सरकार से जवाब तलब किया। साथ ही, कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि प्रशासनिक तंत्र नेताओं की सिफारिशों पर काम करेगा, तो शासन व्यवस्था का मूल ढांचा ही खतरे में पड़ जाएगा।