मकान पर सबकी नजर, बुजुर्ग महिला हुई नज़रअंदाज़!
मंगलवारा घाट का झमेला – गुरुद्वारा, शिव मंदिर, नामदेव समाज मंदिर और पुलिस तक मैदान में

नर्मदा तट, नर्मदापुरम (राकेश एक्का)।मंगलवारा घाट पर एक पुराना मकान इन दिनों पूरे मोहल्ले में चर्चा का विषय बना हुआ है। दिलचस्प बात यह है कि मकान में कई वर्षों से अकेली रह रही एक बुजुर्ग महिला अब सबकी नजरों से ओझल हो चुकी हैं। जबकि मंदिर, समाज संगठन और यहां तक कि पुलिस तक इस मकान और जमीन को लेकर सक्रिय हो गई है।
मकान बना आकर्षण का केंद्र
गुरुद्वारा समिति से लेकर शिव मंदिर और नामदेव समाज मंदिर तक – हर कोई इस मकान पर नजरें गड़ाए हुए है। स्थानीय लोग बताते हैं कि मकान के पास धार्मिक स्थल होने से संगठनों की दिलचस्पी और भी बढ़ गई है।
बुजुर्ग महिला बनीं “साइड कैरेक्टर”
जिस मकान में सालों से एक बुजुर्ग अम्मा रह रही हैं, वही अब विवाद का केंद्र बन गया है। लोगों का मानना है कि मोहल्ले वालों और संगठनों की रुचि अम्मा की मदद करने में नहीं, बल्कि उनकी संपत्ति पर कब्जा जमाने में है।
लोगों की प्रतिक्रियाएं
- “अगर मकान मंदिर से जुड़ जाए तो धार्मिक गतिविधियों में बढ़ोतरी होगी।”
- “गुरुद्वारे के पास मकान हो तो वहां की रौनक और बढ़ जाएगी।”
- “नामदेव समाज मंदिर के पास मकान आ जाए तो समाज का मान बढ़ जाएगा।”
पुलिस भी मौके पर मौजूद रही, लेकिन उसकी भूमिका केवल “निरपेक्ष दर्शक” जैसी दिखी। एक स्थानीय युवक ने मजाक में कहा – “पुलिस वालों को तो बस चाय-समोसा चाहिए, मकान किसे मिलेगा इसमें उन्हें दिलचस्पी नहीं।”
मोहल्ले में चर्चा गरम
मोहल्ले के लोग अब उलझन में हैं कि यह मामला मकान का है या नर्मदा घाट पर किसी मेले का। एक निवासी ने हँसते हुए कहा – “अम्मा अब बस चाबी बन गई हैं, सबको बस ताला खोलना है।”
सामाजिक संदेश
यह विवाद एक बड़े सामाजिक मुद्दे की ओर इशारा करता है – संपत्ति और धर्म-संस्था की लालसा में कमजोर और बुजुर्ग नागरिकों के अधिकारों की अनदेखी। स्थानीय प्रशासन और समाज को चाहिए कि बुजुर्ग महिला की सुरक्षा, सम्मान और भरण-पोषण को प्राथमिकता दी जाए।