पितृमोक्ष अमावस्या पर हुआ पितृ पक्ष का समापन, शक्कर नदी पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

गाडरवारा। सोलह दिवसीय पितृ पक्ष का समापन आज पितृमोक्ष अमावस्या के अवसर पर श्रद्धा और भक्ति के साथ किया गया। शक्कर नदी के छिड़ाव घाट पर सुबह से ही हजारों श्रद्धालु अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए एकत्र हुए। श्रद्धालुओं ने पवित्र नदी में आस्था की डुबकी लगाई और विधि-विधान से तर्पण, पूजन-अर्चन एवं दान-पुण्य किया।
पंडित महेंद्र भार्गव एवं पंडित हरीश भार्गव के मंत्रोच्चार के साथ तर्पण विधि सम्पन्न हुई। प्रतिदिन की तरह आज भी प्रातः 6 बजे से दोपहर 12 बजे तक ब्राह्मणों द्वारा पितृ तर्पण कराया गया। अंतिम दिन अमावस्या पर बड़ी संख्या में लोग अपने पितरों के साथ-साथ अज्ञात आत्माओं का भी तर्पण करने पहुँचे।
हिंदू मान्यता के अनुसार, पितृ पक्ष के इन सोलह दिनों में किया गया तर्पण, दान और श्राद्ध पितरों को शांति प्रदान करता है और संतति को पितृ ऋण से मुक्ति दिलाता है। कहा गया है कि पितृमोक्ष अमावस्या पर तर्पण करने का फल कई गुना बढ़ जाता है।
शक्कर नदी घाट पर दिखा आस्था का समंदर
घाट पर हजारों लोगों ने पवित्र स्नान कर दान-दक्षिणा दी। श्रद्धालुओं ने दीपक जलाकर अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। वातावरण मंत्रोच्चार और “पितृ देवो भवः” की ध्वनि से गूंज उठा।
स्थानीय पंडितों ने बताया कि प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी पूरे पितृ पक्ष में सुबह से दोपहर तक तर्पण विधि कराई गई। पितृमोक्ष अमावस्या पर किया गया यह आयोजन पितरों के मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है और संतति को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
FAQ Schema
Q1. पितृमोक्ष अमावस्या कब मनाई जाती है?
👉 पितृ पक्ष के अंतिम दिन, अमावस्या को पितृमोक्ष अमावस्या मनाई जाती है।
Q2. पितृमोक्ष अमावस्या का महत्व क्या है?
👉 इस दिन पितरों का तर्पण, दान और स्नान करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
Q3. पितृमोक्ष अमावस्या पर क्या करना चाहिए?
👉 पवित्र नदी में स्नान, पितृ तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मणों को दान देना शुभ माना जाता है।