पर्यूषण पर्व के तृतीय दिवस पर जैन समाज ने किया उत्तम आर्जव धर्म का पूजन
सरलता और सीधापन ही आर्जव धर्म का मूल संदेश

संवाददाता राकेश पटेल इक्का
सोहागपुर। पर्यूषण पर्व के तृतीय दिवस पर जैन समाज द्वारा उत्तम आर्जव धर्म का पूजन और व्याख्या का आयोजन किया गया। यह आयोजन आयुष भैया जी के सानिध्य में संपन्न हुआ।
आर्जव धर्म का महत्व
व्याख्या के दौरान बताया गया कि आर्जव धर्म का अर्थ सरलता और सीधापन है। जो व्यक्ति मन, वचन और कर्म से समान रहता है और जिसमें मायाचारी, छल-कपट, धोखा और विश्वासघात का अभाव होता है, वही आर्जव धर्म का पालन करता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस धर्म का पालन करने से व्यक्ति मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है।
पर्यूषण पर्व का आध्यात्मिक स्वरूप
पर्यूषण पर्व जैन धर्म का सबसे बड़ा पर्व है, जिसमें जैन श्रावक परिवार दस दिन तक कठोर तप और आराधना करते हैं। यह पर्व समाज को आध्यात्मिक जागरूकता, आत्मशुद्धि और एकता का संदेश देता है।
भक्ति और सांस्कृतिक आयोजन
संध्याकाल में मंदिर जी में श्री जी की भक्ति, मंगल आरती और प्रवचन हुए। इसके बाद आकर्षक सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया, जिनमें समाज के लोगों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
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समाज में एकता और संकल्प
सैकड़ों की संख्या में समाज जन और वरिष्ठ सदस्य इस अवसर पर उपस्थित रहे। सभी ने आर्जव धर्म के पालन का संकल्प लिया और समाज में सहयोग, सहानुभूति और सौहार्द बढ़ाने का संदेश दिया।
कार्यक्रम का सफल आयोजन समाज में नई दिशा देने वाला साबित हुआ।