पर्यूषण पर्व का भव्य आयोजन, जैन समुदाय में उत्साह और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम

संवाददाता राकेश पटेल एक्का
सोहागपुर। जैन धर्म के सबसे बड़े त्योहार पर्वराज पर्यूषण पर जैन समुदाय द्वारा अत्यधिक भक्ति भाव के साथ मनाया जा रहा है। सांगानेर तीर्थ संस्थान से पधारे विद्वान आयुष भैया जी के सानिध्य में नित्य नियम पूजन उपरांत दसदिवसीय संगीतमय दसलक्षण विधान का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें आज द्वितीय दिन मार्दव धर्म की पूजा की गई।
समाज के अध्यक्ष संतोष जी ने बताया कि जैन श्रावकों द्वारा जैन धर्म के मूल धर्म उत्तम क्षमा, मार्दव, आर्जव, शौच, सत्य, संयम तप त्याग आकिंचन और ब्रह्मचर्य को अंगीकार कर अपने भव को मोक्ष मार्ग की ओर अग्रसर किया जाता है। बाहर से पधारे विद्वानों द्वारा मंदिर जी में जैन धर्म के मूल सिद्धांतों की व्याख्या कर विशेष शिक्षा श्रावकों को दी जा रही है, जिससे जैन समुदाय के लोगों में एक नई ऊर्जा और उत्साह का संचार हुआ है।
उत्तम मार्दव धर्म जैन धर्म का एक सिद्धांत है, जो ‘सर्वोच्च कोमलता’ या ‘विनम्रता’ को प्रकट करता है। यह अहंकार, घमंड और दीनता-हीनता के भाव को दूर करता है। इस धर्म का पालन करने वाला व्यक्ति वंश, रूप, विद्या या धन पर अभिमान नहीं करता और दूसरों के प्रति करुणा, मृदु भाव और विनय भाव रखता है, जिसके कारण उनके जीवन शैली से स्वयं के साथ धर्म का प्रकाशित करता है।
संध्या काल में मंदिर जी में मंगल आरती प्रवचन के उपरांत जैन धर्म पर आधारित धार्मिक अंताक्षरी का मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ। इस अवसर पर मंदिर जी में विशेष रूप से समाज के वरिष्ठ सदस्य उपस्थित रहे, जिनमें मुन्ना लाल जैन, डॉक्टर आरके जैन, दीपक जैन, अधिवक्ता एनसी जैन, डॉक्टर प्रदीप जैन, अरुण जैन, विकास जैन, आलोक जैन, सचिव अभिषेक जैन, निर्दोष जैन, अंकुर जैन, महावीर जैन, नीरज जैन, प्रतीक जैन, वीरेश जैन, संदेश जैन, राजा जैन, अमित जैन, दीपांशु, पार्श जैन, सार्थक जैन, ईशु आदि शामिल थे।