मध्य प्रदेश

नर्मदा किनारे उठेगा आदिवासियों का हुंकार — अन्याय के खिलाफ गांधीवादी रण में उतरेंगे किसान, मजदूर और माताएं-बेटियां

✍️ रिपोर्ट: राकेश एक्का की कलम से

नर्मदापुरम।
अबकी बार आवाज़ सिर्फ धरती नहीं, नर्मदा की लहरों तक गूंजेगी! 8 अक्टूबर, दिन बुधवार, दोपहर 12 बजे — गुप्ता ग्राउंड, होशंगाबाद एक ऐतिहासिक आंदोलन का साक्षी बनने जा रहा है। आदिवासी समाज पर बढ़ते अत्याचार, जबरन विस्थापन और घर-आंगन उजाड़ने की सरकारी नीतियों के विरोध में अब जन-जन का गुस्सा गांधीवादी रूप में फूटने वाला है।

इस आंदोलन की कमान संभाल रहे हैं —
कांग्रेस नेता, पूर्व जनपद उपाध्यक्ष, किसान-मजदूर-आदिवासी संगठन के प्रमुख राजकुमार रघुवंशी, जिन्होंने बीते 19 सितंबर को भी अपनी ललकार से जिले की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी थी।

19 सितंबर की याद — जब इटारसी थम गया था

वह दिन आज भी लोगों की ज़ुबान पर है, जब राजकुमार रघुवंशी के नेतृत्व में 40 जीप, एक बस और कई ऑटो से बना बड़ा काफिला इटारसी पहुंचा था।
सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी को इटारसी ब्रिज पर रोककर आदिवासी, किसान और मजदूर वर्ग की पीड़ा सामने रखी थी।
वह दृश्य सिर्फ स्वागत का नहीं, बल्कि संघर्ष की चेतावनी था —
“अब और नहीं, अब अपनी धरती, अपने घर के लिए लड़ेंगे हम!”

8 अक्टूबर — नर्मदा किनारे उठेगा जनसैलाब

अब वही ज्वाला गुप्ता ग्राउंड, नर्मदापुरम से उठेगी।
इस गांधीवादी आंदोलन में हजारों की संख्या में मजदूर, किसान, आदिवासी समाज की माताएं-बहनें शामिल होंगी।
यह सिर्फ विरोध नहीं, बल्कि सम्मान, अस्तित्व और अधिकार की पुकार है।

राजकुमार रघुवंशी का संदेश

“हम किसी सरकार से नहीं, अपने अधिकार से लड़ रहे हैं।
हमारी धरती, हमारी नदियां, हमारे घर — यह सब हमारी पहचान हैं।
जब तक एक भी झोपड़ी उजड़ रही है, तब तक यह आंदोलन चलेगा, लेकिन अहिंसा के रास्ते से।”

आंदोलन नहीं, जनजागरण

राजकुमार रघुवंशी का यह आंदोलन राजनीति नहीं, समाज की पुकार बन चुका है।

हर गांव, हर बस्ती में यही चर्चा है —

“8 अक्टूबर को नर्मदा बोलेगी, और जब नर्मदा बोलती है, तो शासन भी सुनता है।”

समस्त आदिवासी, मजदूर, किसान भाई-बहनों से निवेदन है
8 अक्टूबर, दिन बुधवार, समय 12 बजे
गुप्ता ग्राउंड, नर्मदापुरम पहुंचें।
अपने अधिकार, अपनी मिट्टी और अपने सम्मान के लिए इस ऐतिहासिक गांधीवादी आंदोलन का हिस्सा बनें।

 “हम मिट्टी के लोग हैं — हमें कोई उखाड़ नहीं सकता।”

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