नर्मदापुरम में खेल राजनीति के दलदल में धँसा — मैदान उजड़े, खिलाड़ी तरसे, अफसर मौन
नर्मदापुरम के मैदान सूखे, खिलाड़ी मैदान खोज रहे। सिफारिश और राजनीति से खेल विभाग पर उठे सवाल, विवेक सागर की धरती मायूस।

संवाददाता राकेश पटेल इक्का
नर्मदापुरम। कभी हॉकी के नायक विवेक सागर प्रसाद जैसी प्रतिभा देने वाला नर्मदापुरम ज़िला आज खेल राजनीति के दलदल में फँस गया है।
जहाँ से ओलंपिक पदक मिला था, वहीं अब खिलाड़ी मैदान खोजने को मजबूर हैं। खेल विभाग के अफसर कागज़ी रिपोर्टों में व्यस्त हैं और मैदानों में झाड़ियाँ उग आई हैं।
विवेक सागर की धरती पर उजड़े मैदान
गुप्ता ग्राउंड में झाड़ियाँ, एसएनजी स्टेडियम में मवेशी, और हॉकी मैदान में शराब की बोतलें… यह है आज नर्मदापुरम के खेल ढांचे की असल तस्वीर।
सरकारें कभी विवेक सागर के नाम पर तालियाँ बजा चुकी हैं, पर अब वही बच्चे फुटपाथ और गलियों में अभ्यास करने को मजबूर हैं।
“जब ओलंपिक में तिरंगा लहराया था, तब सबने फोटो खिंचवाई थी, अब मैदान की सुध कोई नहीं लेता।”
— स्थानीय खिलाड़ी
चयन में सिफारिश, मेहनत पर राजनीति हावी
जिले के फुटबॉल खिलाड़ी मनन चौधरी ने मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में शिकायत की है कि टीम चयन में सिफारिश और पक्षपात हुआ।
कई मेहनती खिलाड़ियों के नाम काट दिए गए, जबकि “पहचान” वाले बच्चों को टीम में जगह दे दी गई।
“हम मैदान में पसीना बहाते हैं, पर अफसर नाम फाइल में बदल देते हैं।”
— युवा खिलाड़ी
घोषणाएँ करोड़ों की, मैदान सूखे पड़े
सरकार ने नर्मदापुरम को “खेल हब” बनाने की घोषणा की थी, पर सच्चाई यह है कि मैदानों की दीवारें टूटी हैं और स्टिक तक खिलाड़ी खुद रिपेयर कराते हैं।
मुख्यमंत्री की घोषणा वाला स्विमिंग पूल अभी तक कागज़ों में ही “तैर” रहा है।
“यहाँ खेल नहीं, ठेके चल रहे हैं। पैसा बहा, मैदान सूख गए।”
— स्थानीय निवासी
नेताओं के मंच चमके, खिलाड़ियों की आवाज़ दब गई
कार्यक्रमों में नेता आते हैं, भाषण देते हैं — “खिलाड़ियों का सम्मान हमारी प्राथमिकता है।”
लेकिन मैदानों में न खिलाड़ी हैं, न अधिकारी।
बच्चे खुद की गेंद और गोलपोस्ट लेकर अभ्यास करते हैं।
“यहाँ अब खेल नहीं, फोटोग्राफी होती है। मंच पर तालियाँ नेताओं के लिए, मैदान में सन्नाटा।”
सवाल जनता का — जब ओलंपिक हीरो दे सकता है यह ज़िला, तो मैदान क्यों नहीं?
विवेक सागर ने जिस ज़मीन को गौरवान्वित किया, वही आज अपने खिलाड़ियों को जगह नहीं दे पा रही।
लोगों की माँग है — राजनीति से ऊपर उठकर मैदान लौटाए जाएँ, ताकि नर्मदापुरम की हर गली से एक नया विवेक सागर निकले।