गाडरवारा विकास से वंचित! भाजपा राज में मिला सिर्फ इंतज़ार, कब खुलेगी रेलवे की आंखें?
ट्रेन स्टॉपेज और रेल मार्ग विकास को लेकर जनता में उठ रहे सवाल

गाडरवारा (नरसिंहपुर)। गाडरवारा रेलवे स्टेशन, जो जबलपुर–इटारसी रेल मार्ग पर सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले स्टेशनों में गिना जाता है, पिछले कई सालों से उपेक्षा का शिकार बना हुआ है। स्थानीय जनता और बुद्धिजीवी वर्ग का मानना है कि भाजपा शासनकाल में गाडरवारा के विकास को जानबूझकर रोका जा रहा है।
कांग्रेस काल में मिला था गरीब रथ का स्टॉपेज
करीब 12 वर्ष पूर्व कांग्रेस सरकार के समय गरीब रथ एक्सप्रेस का गाडरवारा में स्टॉपेज हुआ था। लेकिन उसके बाद से आज तक भाजपा के शासनकाल में गाडरवारा को एक भी नई ट्रेन का स्टॉपेज नहीं मिला।
गाडरवारा की रणनीतिक अहमियत
गाडरवारा विधानसभा क्षेत्र में नगर पालिका, तीन नगर पंचायतें, एनटीपीसी, कोल माइंस और शुगर मिल जैसे बड़े औद्योगिक संस्थान हैं। इसके अलावा तेंदूखेड़ा और उदयपुरा विधानसभा क्षेत्र की आधी से ज्यादा आबादी गाडरवारा रेलवे स्टेशन से यात्रा करती है। इसके बावजूद गाडरवारा लगातार अनदेखा किया जा रहा है।
छोटे शहरों को मिला फायदा, गाडरवारा को उपेक्षा
तुलना करें तो खिरकिया (जिला हरदा) जिसकी आबादी मात्र 22 हजार है और नगर पंचायत का दर्जा प्राप्त है, वहां पर एक साथ 5 ट्रेनों का स्टॉपेज है। वहीं घोड़ा डोंगरी (जिला बैतूल) जिसकी आबादी महज 15 हजार है, वहां भी 10 साल से संघमित्रा एक्सप्रेस रुक रही है। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि आखिर गाडरवारा को ही क्यों दरकिनार किया जा रहा है?
आसपास के स्टेशनों पर हुए ट्रेन स्टॉपेज
2014 के बाद मोदी शासनकाल में आसपास के कई छोटे स्टेशनों पर नई ट्रेनों का ठहराव हुआ –
- श्रीधाम में महानगरी और ज्ञान गंगा
- करकबेल में राजकोट एक्सप्रेस
- करेली में ओवरनाइट एक्सप्रेस
- सालीचौका और बनखेड़ी में राजकोट एक्सप्रेस
- सोहागपुर में नई दिल्ली एक्सप्रेस
लेकिन गाडरवारा में एक भी ट्रेन का स्टॉपेज नहीं मिला।
गाडरवारा-इंदौर रेल मार्ग भी अधर में
2017 में जबलपुर–गाडरवारा–इंदौर रेल मार्ग को स्वीकृति मिली थी, लेकिन उसका काम भी गाडरवारा खंड में रोक दिया गया। स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब एनटीपीसी जैसी परियोजना यहां है तो विकास कार्य तेजी से क्यों नहीं हो रहे, जबकि सिंगरौली जैसे शहर इसका उदाहरण हैं जहां एनटीपीसी के कारण बड़ा विकास हुआ।
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युवाओं में नाराजगी
गाडरवारा क्षेत्र के युवा सबसे ज्यादा नौकरी के लिए बेंगलुरु और पुणे जाते हैं। लेकिन गाडरवारा से इन शहरों के लिए सीधी रेल सेवा नहीं है। इसे लेकर युवाओं में भी गहरी नाराजगी है।
यह मसला अब जनचर्चा का विषय बन गया है कि आखिर गाडरवारा जैसे औद्योगिक और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण नगर को रेलवे विकास से क्यों वंचित रखा जा रहा है।
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