खटामा गांव में बच्चे बांस-बल्लियों की झोपड़ी में पढ़ाई के लिए मजबूर, शिक्षा विभाग की लापरवाही उजागर

संवाददाता सनी लालवानी
नर्मदापुरम/इटारसी।
आदिवासी ब्लॉक केसला के खटामा गांव के बच्चे पिछले एक साल से जर्जर और टूटी-फूटी स्कूल बिल्डिंग के कारण पढ़ाई के लिए बांस-बल्लियों से बनी झोपड़ी में पढ़ाई करने को मजबूर हैं। स्थानीय निवासी विनोद बारिया ने बताया कि स्कूल की हालत इतनी जर्जर है कि वर्षा काल में हादसे का खतरा बना रहता है।
बच्चों के लिए बनी खतरे की स्थिति
- बच्चों का स्कूल अभी एक छोटे से आंगनवाड़ी केंद्र में चलता है, जहां सुबह 9 बजे से 12 बजे तक आंगनवाड़ी और 12 बजे से 4 बजे तक पहली से पांचवीं तक की कक्षाएँ लगती हैं।
- पुराने स्कूल भवन की काबिलू और लकड़ी की नींव दरक चुकी है, जो हादसे का कारण बन सकती है।
- आसपास खुला मैदान होने के कारण जहरीले जीव-जंतुओं का खतरा भी बना रहता है।
प्रशासन की बड़ी लापरवाही
- डेढ़ महीने पहले सागर में हुए हादसे के बाद इटारसी एसडीएम ने स्कूल भवन को तोड़ने के निर्देश दिए थे।
- बावजूद इसके, नए भवन निर्माण का प्रस्ताव अभी तक नहीं आया।
- शिक्षकों ने बताया कि जर्जर भवन की जानकारी दो साल पहले अधिकारियों को प्रतिवेदन में दी गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
ग्रामीणों और अभिभावकों का आक्रोश
ग्रामीणों और माता-पिता ने कलेक्टर से मिलकर नए भवन की तत्काल स्वीकृति की मांग की। उनका कहना है कि शिक्षा मंत्री और अधिकारी गरीब व आदिवासी बच्चों के प्रति भेदभाव कर रहे हैं।
महिला समूह और पंचायत प्रतिनिधि इस मुद्दे को लेकर क्षेत्रीय विधायक से भी मिले।
उपस्थित प्रमुख नागरिक
महिला समूह संगठन की अध्यक्ष प्रीति तुमराम, संध्या कासदे, प्रभा तेकाम, मीरा कलमें, दीपिका कलमें, गायत्री तेकम, अनीता बरकड़े, प्रेमवती, सुखवती धुर्वे, मीना कासदे, छुट्टन बाई उईके, माला तुमराम सहित जनपद सदस्य सुनील नागले, सरपंच डोरीलाल चीचाम, नारायण बाबरिया, विनोद वारिवा, शैतान उईके, सोहन धुर्वे उपस्थित रहे।
बीआरसी का बयान
बीआरसी के.के. शर्मा ने कहा कि सोशल मीडिया पर बच्चों की झोपड़ी में पढ़ाई की तस्वीर सामने आई। उन्होंने आज इंजीनियर के साथ गांव जाकर स्थिति का निरीक्षण करने की बात कही और वैकल्पिक सुरक्षित स्थान पर स्कूल संचालन की संभावना तलाशने का आश्वासन दिया।