कलेक्टर सोनिया मीना: सेवा, स्वच्छता और समर्पण की जीती-जागती मिसाल

संवाददाता राकेश पटेल इक्का
नर्मदा पुरम।
नेतृत्व तब महान बनता है जब वह केवल शब्दों में नहीं, कर्मों में भी नजर आता है। सेवा पखवाड़ा के अंतर्गत कलेक्टर सुश्री सोनिया मीना ने विवेकानंद घाट पर स्वयं श्रमदान कर यह साबित कर दिया कि प्रशासनिक जिम्मेदारी का सबसे बड़ा स्वरूप जनता के साथ खड़े होकर काम करना है।
हाथ में झाड़ू लिए घाट की सीढ़ियाँ साफ करती कलेक्टर का दृश्य नर्मदा पुरम के लिए प्रेरणा का अद्भुत क्षण था। उन्होंने सफाई मित्रों के साथ मिलकर श्रमदान किया, उनकी मेहनत का सम्मान किया और उनके उत्साह को दोगुना कर दिया।
कलेक्टर ने घाट पर स्वच्छता गतिविधियों का बारीकी से निरीक्षण किया और लोगों से अपील की कि—
“सिर्फ एक घंटा श्रमदान हर कोई करे, तो हमारी नर्मदा पहले से कहीं ज्यादा सुंदर और पावन दिखेगी।”
उनकी यह सोच और कार्यशैली जनता के दिलों को छू रही है। यह केवल स्वच्छता अभियान नहीं था, बल्कि यह सन्देश भी था कि जब नेतृत्व जमीन पर उतरकर जनता के साथ खड़ा हो, तो बदलाव निश्चित है।
नर्मदा पुरम की जनता आज गर्व से कह रही है—
“हमारी कलेक्टर सोनिया मीना केवल आदेश देने वाली अधिकारी नहीं, बल्कि खुद काम करके दिखाने वाली सच्ची जननायक हैं।”







